लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (17)
रश्मि अभी सोई ही हुई थी कि , रिषभ और उसकी माँ घर आए।
रिषभ ने उनको उनके कमरे में छोड़ा ओर खुद मोहन के कमरे में आया.....।
रिषभ को देखते ही मोहन बोला :- कहां था इतनी देर कबसे फोन कर रहा हूँ....., फोन भी नहीं उठा रहा हैं.....। तुझे पता भी हैं......यहाँ क्या हुआ हैं.....।
ऐसा भी क्या हो गया पापा......! आप इतने परेशान क्यों लग रहे हैं .......ओर रश्मि कहाँ है मैनें तो उसे आपके पास छोड़ा था ना ........??
उस लड़की ने ही तो सब सत्यानाश कर दिया बेटा......।
अरे वो मेरे चंगुल से भाग गई, और उससे भी बड़ी मुसीबत तो ये हैं.........की रोहित यहाँ आ गया हैं........ओर वो उस लड़की को जानता भी हैं........। रोहित को मेरे बारे में सब पता चल गया हैं कि मैने उस लड़की के साथ क्या किया हैं........।
रिषभ चोंकते हुए :- क्या रोहित भाई! वो यहाँ कैसे......?
वो तो मुझे भी नहीं पता।
अभी तु मेरी बात सुन इससे पहले की वो लड़की रोहित को तेरे बारे में भी सब बताए हम दोनों यहाँ से दुर चले जाते हैं।
ये आप क्या कह रहे हैं पापा। आप तो मुझे अच्छे से जानते हैं......मैं ऐसे जल्दी भागने वालों में से नहीं हूं......।
रोहित को भी देख लेंगे। अभी कहा हैं वो......।
रोहित अपने कमरे में ही है ओर वो लड़की भी उसी के साथ हैं......।
ठीक हैं मैं आता हुं उससे मिलकर।
लेकिन बेटा वो लड़की भी वही है..
आप टेंशन मत किजिए मैं संभाल लुंगा सब....।
रिषभ ऐसा कहकर रोहित के कमरे में चला गया।
रिषभ-हाय बीग बी..
रिषभ ओर रोहित एक दुसरे के गले लग गए।
रोहित- अरे रिषभ कहाँ था तु! मैं कबसे आया हूं.....तु दिखा ही नहीं.....।
वो भाई मैं रश्मि की मम्मी को दिल्ली की सैर करवाने गया था, पर ये रश्मि यहाँ क्युं सो रही है ओर इस वक़्त क्युं सो रही है, क्या हुआ इसे भाई, ये ठीक तो है....?
हां ठीक है। तु टेंशन मत कर ओर प्लीज अभी रश्मि की मम्मा को रश्मि की इस हालत के बारे में कुछ मत बताना।
उनका ध्यान रखना।
ठीक है भाई। आप टेंशन मत लो। लेकिन भाई.... आप रश्मि को... कैसे जानते हैं...!
वो सब तुझे बाद में बताता हूँ.....।
ठीक हैं भाई.... चलता हूँ फिर मैं....।
ऐसा कहकर रिषभ वहाँ से मोहन के पास गया ओर बोला :- पापा रश्मि ने अभी तक तो मेरे बारे में रोहित को कुछ नहीं बताया है क्योंकि अगर बताया होता तो रोहित मुझसे ऐसे अच्छे से नहीं मिलता। लेकिन वो कुछ बताए उसके पहले हमें उसे चुप कराना होगा। मैं सोचता हूँ कुछ।
उधर रश्मि की आंख भी खुली तो रोहित उसके पास आया ओर बोला-तुम ठीक हो रश्मि.....?
हां सर.. सॉरी रोहित.....।
रोहित मुस्कुराते हुए :- गुड..।
रोहित मम्मी आ गई हैं....?
हां.... वो अभी आई हैं....।
मैं मम्मी से मिलकर आती हूँ....। ओर फिर मुझे अलका के पास भी जाना हैं....।
रोहित आश्चर्य से :- अलका!! वो भी यहाँ हैं....!!
हां रोहित वो भी मेरे साथ आई हैं.......पर मम्मी को नहीं मालूम। रश्मि ने उसे सारी बातें बताई।
ओहहह.....।ठीक है रश्मि ........तुम यहाँ अपनी मम्मी से मिल लो.....अलका के पास मैं होकर आता हूँ.....। तुम अभी पहले ये कपड़े चेंज कर लो.....। ओर कुछ खा लो।
मैं चलता हुं अभी।
अपने कपड़ो को देख कर रश्मि की आंखे फिर से भर गई।
रश्मि प्लीज अभी सब भुलकर कुछ खा लो।
रश्मि ने हां में सिर हिलाया।
रोहित वहाँ से चला गया ओर रश्मि वाशरूम में चली गई।
कपड़े बदल कर रश्मि सीधे अपनी माँ के कमरे में चली गई।
मम्मी कैसी है आप?
कहाँ कहाँ घुम कर आए?
दवाईयां ली ना आपने ओर बाहर का तो कुछ नहीं खाया ना आपने...... आपको अभी डाक्टर ने मना किया है, ओर पता है मम्मी डाक्टर ने क्या कहा मुझे......।
क्या??
मम्मी डाक्टर ने बोला है कि आपका कैंसर अभी पहले ही स्टेज पर हैं....., आपको डाइलेसिस की भी आवश्यकता नहीं है। आप सिर्फ थोड़ी केयर ओर दवाईयों से भी ठीक हो जाएंगी। अच्छा हुआ जो दीदी ने हमें यहाँ भेजा । मम्मी मैनें पापा को भी अभी कुछ नहीं बताया है आप बता देना उनको वो चिंता कर रहे होंगे।
तु सच कह रही है ना?
सच में डाक्टर ने ऐसा ही बोला है या मुझसे छुपा रही है।
नहीं मम्मी मैं सच कह रही हूँ.....।
तोफिर तु वापस से डाक्टर के पास क्युं गई थी?
वो मम्मी मुझे भी लगा कि डाक्टर कुछ छुपा तो नहीं रहा इसलिए वापस गई थी बात करने।
(अभी मम्मी को कैसे बताउं कि मैं वापस तो गई ही नहीं थी मैं तो अलका से मिलने गई थी। रश्मि मन ही मन सोच रही थी। )
ठीक है मैं इनसे बात कर लेती हूँ.....। ले मुझे नंबर लगाकर दे...।
ये लिजिए मम्मी.....आप बात करो....मैं चलती हूं....।
इतना कहकर रश्मि वहाँ से चली गई ओर वो रोहित के कमरे में जा ही रही थी कि वो रुक गई।
वो घर में बने मन्दिर की ओर चल दी।
वहाँ जाकर बोली :- समझ में नहीं आता बाबाजी कि आपका शुक्रिया अदा करूँ, या अपने दर्द की दुहाई दूं।
एक तरफ आपने मम्मी की तकलीफ दूर की उनकी झोली में खुशियाँ डाली ओर दुसरी तरफ आपने मेरी झोली में जिंदगी भर के लिए तकलीफ डाल दी। रश्मि ऐसा कहकर रोने लगी। ओर रोते रोते बोली.. मैंने आपका क्या बिगाड़ा था बाबा जी, मैंने किसी का बुरा नहीं चाहा कभी फिर क्यूं किया मेरे साथ ऐसा क्यूँ बाबा जी क्यूँ।
तभी रोहित ने पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखा।
रश्मि डर के मारे फिर से कांपने लगी।
रश्मि डरो मत मैं हूँ।
रश्मि ने पलट कर रोहित को देखा ओर डर की वजह से जमीन पर बैठ गई.....।
रोहित ने उसे प्यार से उठाया ओर कहा :- इस डर को अपने दिल से तुम्हे निकालना पड़ेगा रश्मि......समझ रही हो तुम....।
रश्मि अभी थोड़ा संभली ही थी कि उसकी नजर रिषभ पर पड़ी जो रश्मि को कुछ इशारा कर रहा था।
रश्मि उसका इशारा समझते ही अचानक से रोहित से दूर हो गई ओर रोते रोते ऊपर अपने कमरे की ओर भाग गई। कमरे में जातें ही उसने दरवाजा बंद कर लिया।
रोहित कुछ समझता इससे पहले रिषभ भी छिप गया।
रोहित ने यहाँ वहाँ देखा उसे कुछ समझ नहीं आया कि रश्मि एैसे अचानक क्यूँ भाग गई।
रोहित भी उसके कमरे की तरफ गया।
उसने दरवाजा खटखटाया पर रश्मि ने दरवाजा नहीं खोला।
रश्मि दरवाजा खोलों, क्या बात है तुम ऐसे क्युं चली आई....।
रोहित प्लीज मुझे थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दो प्लीज...।
ठीक हैं......। मैं अपने कमरे में ही हूँ....., जब तुम्हारा दिल करे आ जाना। लेकिन आना जरूर.... मैं इंतजार कर रहा हूँ...।
ऐसा कहकर रोहित सोचता हुआ वहाँ से चला गया।
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क्या रश्मि रोहित और अलका को सब बता पाएगी...
आखिर क्या थे रिषभ के इरादे...
जानने के लिए इंतजार किजिए अगले भाग का...।
Varsha_Upadhyay
03-Aug-2023 11:05 AM
शानदार भाग
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